फाइलेरिया का बेस्ट इलाज हैं ये आयुर्वेदिक उपाय और प्राणायाम

फाइलेरिया का बेस्ट इलाज हैं ये  आयुर्वेदिक उपाय और प्राणायाम

सेहतराग टीम

हमारे आस-पास कई तरह की बीमारी फैल रही है और आज हर कोई किसी न किसी बीमारी पीड़ित है। जैसे कि आज हम बात करेंगे फाइलेरिया की, जिसे आम भाषा में हाथी पांव  कहते हैं। आज के समय इस बीमारी से कई लोग पीड़ित हैं। इस बीमारी में हमारा पैर सूज जाता यानी कि पांव फूल जाता है। पैर बिल्कुल हाथी के पैर जैसा दिखता है। अगर शुरू में इस बीमारी पर शुरू में ध्यान न दिया या शुरू में ठीक न हुई तो आगे चलकर लोगों को विकलांग भी बना देती है। आपकी जानकारी लिए बता दूं कि ये बीमारी एलीफेंटिटस यानी श्लीपद ज्वर नामक परजीवी के प्रवेश से होती है। ये परजीवी मच्छर काटने से हमारे शरीर के अंदर प्रेवश करता है।

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यह परजीवी यो कीड़े लगभग 50,000 माइक्रो फ्लेरी (सूक्ष्म लार्वा) उत्पन्न करते हैं, जो किसी व्यक्ति के रक्त प्रवाह में प्रवेश कर जाते हैं, और जब मच्छर संक्रमित व्यक्ति को काटता है तो उसमें प्रवेश कर जाते हैं। जिनके रक्त में माइक्रो फ्लेरी होते हैं वे ऊपर से स्वस्थ दिखाई दे सकते हैं, लेकिन वे संक्रामक हो सकते हैं।  वयस्क कीड़े में विकसित लार्वा मनुष्यों में लगभग पांच से आठ साल और अधिक समय तक जीवित रह सकता है। हालांकि वर्षों तक इसका कोई लक्षण दिखाई नहीं देता, लेकिन यह लिम्फैटिक प्रणाली को नुकसान पहुंचा सकता है।

फाइलेरिया एक बड़ी समस्या है। यह  सबसे अधिक उड़िसा, छत्तसीगढ़, मध्य प्रदेश आदि आदिवासी क्षेत्रों में सबसे ज्यादा देखी है। इस समस्या को भी आयुर्वेद और योग के द्वारा आसानी से सही किया जा सकता है।

फाइलेरिया के लक्षण (Symptoms of Filaria or Hathi Panv in Hindi):

  • बार-बार बुखार आना
  • अंगों, जननांगों में सूजन
  • हाइड्रोसील 
  • त्वचा का एक्सफोलिएट होना
  • हाथों और पैरों में सूजन

फाइलेरिया से निजात पाने के आयुर्वेदिक उपाय (Ayurvedic Treatment for Filaria in Hindi):

  • मधोहर वटी, त्रिफला गुग्गुल सुबह-शाम 2-2- गोली खाएं।
  • पूननर्वा मंडूर 2-2 गोली खाएं। 
  • गौधन अर्क 25-50 एमएल खाली पेट पिएं। 

फाइलेरिया में करे ये प्राणायाम (Best Pranayaam Treatment for Filaria in Hindi):

1- कपालभाति

रोजाना कपालभाति करने से आपके नर्वस सिस्टम के न्यूरॉन ठीक ढंग से काम करेंगे। इसके साथ ही फाइलेरिया की समस्या से निजात मिलेगा।  इसलिए इसे 5-10 मिनट से शुरू करके घंटे करे।

ऐसे करें कपालभाति:

  • सबसे पहले किसी आरामदायक आसन पर बैठ जाएं।
  • अब सिर और रीढ़ की हड्डी को सीधा रखते हुए हाथों को घुटनों पर ज्ञान मुद्रा में रख लें।
  • आंखे बंद कर लें और पूरे शरीर को ढीला छोड़ दें।
  • अब दोनों नासिका छिद्रों से गहरी सांस लें और पेट की मांसपेशियों को सिकोड़ते हुए सांस छोड़ें। लेकिन ध्यान रहे सांस छोड़ते समय अधिक जोर न लगाएं।
  • अब फिर से जब सांस लें तो पेट की पेशियों पर बिना प्रयास लगाएं सांस लें। सांस आराम से लें, इसमें किसी प्रकार का प्रयास न लगाएं।
  • शुरआत में दस बार सांस लेने और छोड़ने की प्रक्रिया करें।
  • इस चक्र को तीन से पांच बार दोहराएं।
  • आसन का अभ्यास पूरा होने के बाद शान्ति का अनुभव करें।

2- अनुलोम-विलोम:

अनुलोम विलोम प्राणायाम भी काफी फायदेमंद माना जाता है। यह प्राणायाम फाइलेरिया के अलावा कई बीमारियों के लिए फायदेमंद माना जाता है।

ऐसे करें अनुलोम-विलोम:

  • सबसे पहले पद्मासन की मुद्रा में बैठ जाएं।
  • अब दाएं हाथ की अनामिका और सबसे छोटी उंगली को मिलाकर बाएं नाक पर रखें और अंगूठे को दाएं वाले नाक पर लगा लें।
  • तर्जनी और मध्यमा को मिलाकर मोड़ लें। अब बाएं नाक की ओर से सांस भरें और उसे अनामिका और सबसे छोटी उंगली को मिलाकर बंद कर लें।
  • इसके बाद दाएं नाक की ओर से अंगूठे को हटाकर सांस बाहर निकाल दें। इस आसन को 15 मिनट से लेकर आधा घंटा कर सकते हैं।

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